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Sunday, May 4, 2014

बकबक - २

कभी-कभी रातें बहुत अच्छी लगती हैं.. और कभी-कभी रातें बहुत बहुत बहुत ज्यादा अच्छी लगती हैं । जब ऐसी लगती है, तब लगता है कि रात ख़तम ही ना हो.. बीते ही ना.. सुबह हो ही ना । बस पलकों पर ख़्वाबों का बोझ उठाये रखो और आसमान तकते रहो.. मेरा मतलब घर की सीलिंग । अच्छा था जब इतने ज्यादा शहर नहीं थे.. कम से कम ख़्वाब तो हम आसमान के साथ देखते थे ।
कभी-कभी सोचती हूँ, सिर्फ़ मैं ही तो नहीं सोचती । मेरे जैसे तो कई सारे लोग है.. छोटी-छोटी बातें हमें बुरी लग जाती हैं और छोटी-छोटी बातें बहुत ख़ुश भी कर जाती है । रवीश सर ने एक बार अपनी फेसबुक वॉल पर लिखा था - "काश हम भी मोटी चमड़ी के होते ।"  अच्छा होता ना, ना किसी की बात दिल पे लगती.. ना दिल की बात किसी को बताते । इमोशनल होना बहुत injurious होता है । इसका ये कतई मतलब नहीं कि हम ख़ुद के बाहर कोई ख़ुशी ढूंढ रहे हैं । ख़ैर....

इन सबके बीच, मैं आज पूरी बेशर्मी के साथ, एक घर का दरवाज़ा खटखटा के (आज ही उनके घर में आई) नयी दुल्हन से मिल आई । हमारी ही बिल्डिंग के फोर्थ फ्लोर पर रहते हैं ..तो नयकी कनिया (दुल्हन) से मिलना ज़रूरी था । और ये मेरे बचपन की आदत है, आस-पड़ोस की किसी नयी दुल्हन को जबतक ना देख लूं, मेरे पेट का भात नहीं पचता । अगर कहूं कि मुझे नयी दुल्हन देखने का बड़ा ज़बरदस्त क्रेज़ है, तो कोई ग़लत बात नहीं होगी । बहुत मज़ा आता है ... और साथ में कुछ गॉसिप मिल जाती है, सो अलग । हालांकि मैं मिठाई लेकर गयी थी, लेकिन लालच शादी के मिठाइयों को खाने की थी  । इसलिए उधर से प्लेट भर के खाजा, गाजा और लड्डू ले आयी ।

मेरे हिसाब की ज़िन्दगी तो यूँ ही चलती है ... छोटी-छोटी खुशियों से.. छोटी-छोटी बातों से । वैसे भी, पता नहीं मेरा और दिल्ली के मौसम का क्या रिश्ता है.. जब भी मैं बहुत ज़्यादा उदास होती हूँ, तब ये भी बदल जाता है । पहले तो इतनी गरमी थी , अब आज मौसम कुछ ठंडा सा है.. बारिश हो जाती तो मेरा मन फिर से अच्छा हो जाता । लगता है आसपास कहीं बारिश हुई है, हाँ कल हल्की बूंदा-बांदी ज़रूर हुई थी  । (बिहार में हमलोग इस  बूंदा-बांदी/drizzling को "झीसी पड़ना" बोलते हैं)

और जब तेज़ ठंडी हवाएं आ ही गयी हैं, वो भी खासकर सिर्फ़ मेरे लिए.. तो बारिश भी आ ही जायेगी ।
और अब बारिश से ज़्यादा सुबह का इंतज़ार है.. सुबह होगी तो कोई ठंडा पेय पीने से थोड़ा ठीक लगेगा । आप भी ट्राई कीजियेगा- सत्तू+निम्बू का रस+चीनी+काला नमक+खीरा कद्दुकस किया हुआ+ग्लूकान-डी+रूह आफज़ा+दही +ठंडा पानी  -- सबको मिक्सी में मिक्स कर दीजिये और पी जाईए ।

(मुझे नहीं पता, मेरी नींद में बड़बड़ाने की आदत कब जायेगी..)
गाने तो आज बहुत सारे सुन लिए, अब ये आज का आख़िरी गाना --
http://www.saavn.com/p/song/hindi/Parineeta/Raat-Hamari-Toh/JVgRRUd9XFE

1 comment:

  1. कुछ कठिन बातें आपने बड़ी सरलता से समझा दीं।

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